के लिये
भारत
मतदान द्वारा नया संविधान लागू करवाने की
हमारी (जनता की) शक्ति व अधिकार
जब हम एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा नियन्त्रित हो चुके अपने राजनीतिज्ञों से धोखा खा कर, अलग-अलग हो कर अकेले अपनी-अपनी लड़ाई लड़ते हैं तो हम शक्तिहीन पड़ जाते हैं, यह एक स्थापित सत्य है । इस स्थिति में एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की उन समस्याओं का समाधान करने में उनकी तनिक भी दिलचस्पी नहीं रह जाती, जिन समस्याओं का जंजाल उन्होंने खुद ही रचा होता है । ये एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ हमारे और हमारे बच्चों के भविष्य के लिये आवश्यक सभी निधियों को नष्ट करती जाती हैं । जो कुछ भी हम आम जन कई दशकों से प्राप्त करना चाहते रहे हैं, वह सब पाने के लिये समस्याओं के समाधानों पर आम सहमति बना कर हम अपनी सामूिहक शक्ति व संसाधन एक समान लक्ष्य पर केन्द्रित कर सकते हैं । वह लक्ष्य जो हमें प्राप्त करना है वह है अपने मतदान व मताधिकार का प्रयोग करके नेताओं तथा संसद के द्वारा नया संविधान लागू करवाने की हमारी शक्ति । आज हमारे जल-स्रोत व जल-भंडार, हमारे भोजन के स्रोत, हमारा जीवन तथा हमारी संस्कृति सभी का अस्तित्व खतरे में हैं । वैलेण्टाइन संविधान ही हमें वह शक्ति देता है जिस शक्ति का प्रयोग कर के हम अपने अधिकारों व अपनी स्वतंत्रता दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं । वैलेण्टाइन संविधान हमें एक ऐसी सरकार देगा जो जनता को मात्र दण्डित करने के बजाय जनता की समस्यायें सुलझाने में जनता की मदद करे । यह संविधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि हमारी सरकार द्वारा खर्च किये जाने वाले धन पर तथा हमारी सरकार द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों पर आम नागरिकों की सख़्त निगरानी बनी रहे ।
अपने देश को खुद ही सफलतापूर्वक चलाने के लिये हमें आज ही से तैयारी शुरू कर देनी होगी । हमारे मताधिकार द्वारा नये वैलेण्टाइन संविधान को लागू करने की कार्यवाही पूरी होने से पहले ही हमारे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को सार्वजनिक कार्यों को निपटाने के लिये, सुरक्षा बलों को नियंत्रित व संचालित करने के लिये, कोषागार, बैंकिंग प्रणाली और निष्पक्ष, शांतिपूर्ण चुनावों को संचालित करने के लिए सन्नद्ध व तैयार हो जाना चाहिये । विदेशी कंपनियों से होने वाले सौदों और समझौतों पर अभी बातचीत होनौ चाहिये और उनके मसौदे अभी लिखे जाने चाहिये । जो विदेशी कंपनियाँ हमारे देश में सही तरीके से काम न करें उनकी जवाबदेही तय करने के लिये व उनको दंडित करने के लिये आसानी से लागू किये जा सकने वाले प्रावधान भी इन समझौतों व सौदों में शामिल किये जाने चाहिये । इस प्रकार से हमारा यह नया संविधान एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हमारे हित में व हमारे हिसाब से अपना काम सही ढंग से करने पर विवश कर सकेगा ।
के लिये
भारत
मतदान द्वारा नया संविधान लागू करवाने की
हमारी (जनता की) शक्ति व अधिकार
जब हम एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा नियन्त्रित हो चुके अपने राजनीतिज्ञों से धोखा खा कर, अलग-अलग हो कर अकेले अपनी-अपनी लड़ाई लड़ते हैं तो हम शक्तिहीन पड़ जाते हैं, यह एक स्थापित सत्य है । इस स्थिति में एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की उन समस्याओं का समाधान करने में उनकी तनिक भी दिलचस्पी नहीं रह जाती, जिन समस्याओं का जंजाल उन्होंने खुद ही रचा होता है । ये एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ हमारे और हमारे बच्चों के भविष्य के लिये आवश्यक सभी निधियों को नष्ट करती जाती हैं । जो कुछ भी हम आम जन कई दशकों से प्राप्त करना चाहते रहे हैं, वह सब पाने के लिये समस्याओं के समाधानों पर आम सहमति बना कर हम अपनी सामूिहक शक्ति व संसाधन एक समान लक्ष्य पर केन्द्रित कर सकते हैं । वह लक्ष्य जो हमें प्राप्त करना है वह है अपने मतदान व मताधिकार का प्रयोग करके नेताओं तथा संसद के द्वारा नया संविधान लागू करवाने की हमारी शक्ति । आज हमारे जल-स्रोत व जल-भंडार, हमारे भोजन के स्रोत, हमारा जीवन तथा हमारी संस्कृति सभी का अस्तित्व खतरे में हैं । वैलेण्टाइन संविधान ही हमें वह शक्ति देता है जिस शक्ति का प्रयोग कर के हम अपने अधिकारों व अपनी स्वतंत्रता दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं । वैलेण्टाइन संविधान हमें एक ऐसी सरकार देगा जो जनता को मात्र दण्डित करने के बजाय जनता की समस्यायें सुलझाने में जनता की मदद करे । यह संविधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि हमारी सरकार द्वारा खर्च किये जाने वाले धन पर तथा हमारी सरकार द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों पर आम नागरिकों की सख़्त निगरानी बनी रहे ।
अपने देश को खुद ही सफलतापूर्वक चलाने के लिये हमें आज ही से तैयारी शुरू कर देनी होगी । हमारे मताधिकार द्वारा नये वैलेण्टाइन संविधान को लागू करने की कार्यवाही पूरी होने से पहले ही हमारे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को सार्वजनिक कार्यों को निपटाने के लिये, सुरक्षा बलों को नियंत्रित व संचालित करने के लिये, कोषागार, बैंकिंग प्रणाली और निष्पक्ष, शांतिपूर्ण चुनावों को संचालित करने के लिए सन्नद्ध व तैयार हो जाना चाहिये । विदेशी कंपनियों से होने वाले सौदों और समझौतों पर अभी बातचीत होनौ चाहिये और उनके मसौदे अभी लिखे जाने चाहिये । जो विदेशी कंपनियाँ हमारे देश में सही तरीके से काम न करें उनकी जवाबदेही तय करने के लिये व उनको दंडित करने के लिये आसानी से लागू किये जा सकने वाले प्रावधान भी इन समझौतों व सौदों में शामिल किये जाने चाहिये । इस प्रकार से हमारा यह नया संविधान एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हमारे हित में व हमारे हिसाब से अपना काम सही ढंग से करने पर विवश कर सकेगा ।
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भारत
मतदान द्वारा नया संविधान लागू करवाने की
हमारी (जनता की) शक्ति व अधिकार
जब हम एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा नियन्त्रित हो चुके अपने राजनीतिज्ञों से धोखा खा कर, अलग-अलग हो कर अकेले अपनी-अपनी लड़ाई लड़ते हैं तो हम शक्तिहीन पड़ जाते हैं, यह एक स्थापित सत्य है । इस स्थिति में एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की उन समस्याओं का समाधान करने में उनकी तनिक भी दिलचस्पी नहीं रह जाती, जिन समस्याओं का जंजाल उन्होंने खुद ही रचा होता है । ये एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ हमारे और हमारे बच्चों के भविष्य के लिये आवश्यक सभी निधियों को नष्ट करती जाती हैं । जो कुछ भी हम आम जन कई दशकों से प्राप्त करना चाहते रहे हैं, वह सब पाने के लिये समस्याओं के समाधानों पर आम सहमति बना कर हम अपनी सामूिहक शक्ति व संसाधन एक समान लक्ष्य पर केन्द्रित कर सकते हैं । वह लक्ष्य जो हमें प्राप्त करना है वह है अपने मतदान व मताधिकार का प्रयोग करके नेताओं तथा संसद के द्वारा नया संविधान लागू करवाने की हमारी शक्ति । आज हमारे जल-स्रोत व जल-भंडार, हमारे भोजन के स्रोत, हमारा जीवन तथा हमारी संस्कृति सभी का अस्तित्व खतरे में हैं । वैलेण्टाइन संविधान ही हमें वह शक्ति देता है जिस शक्ति का प्रयोग कर के हम अपने अधिकारों व अपनी स्वतंत्रता दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं । वैलेण्टाइन संविधान हमें एक ऐसी सरकार देगा जो जनता को मात्र दण्डित करने के बजाय जनता की समस्यायें सुलझाने में जनता की मदद करे । यह संविधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि हमारी सरकार द्वारा खर्च किये जाने वाले धन पर तथा हमारी सरकार द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों पर आम नागरिकों की सख़्त निगरानी बनी रहे ।
अपने देश को खुद ही सफलतापूर्वक चलाने के लिये हमें आज ही से तैयारी शुरू कर देनी होगी । हमारे मताधिकार द्वारा नये वैलेण्टाइन संविधान को लागू करने की कार्यवाही पूरी होने से पहले ही हमारे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को सार्वजनिक कार्यों को निपटाने के लिये, सुरक्षा बलों को नियंत्रित व संचालित करने के लिये, कोषागार, बैंकिंग प्रणाली और निष्पक्ष, शांतिपूर्ण चुनावों को संचालित करने के लिए सन्नद्ध व तैयार हो जाना चाहिये । विदेशी कंपनियों से होने वाले सौदों और समझौतों पर अभी बातचीत होनौ चाहिये और उनके मसौदे अभी लिखे जाने चाहिये । जो विदेशी कंपनियाँ हमारे देश में सही तरीके से काम न करें उनकी जवाबदेही तय करने के लिये व उनको दंडित करने के लिये आसानी से लागू किये जा सकने वाले प्रावधान भी इन समझौतों व सौदों में शामिल किये जाने चाहिये । इस प्रकार से हमारा यह नया संविधान एकाधिपत्यवादी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हमारे हित में व हमारे हिसाब से अपना काम सही ढंग से करने पर विवश कर सकेगा ।